मध्य प्रदेश

MP news, रेत माफियाओं के आतंक से थर्राता है शहडोल और सीधी क्षेत्र अब तक हो चुकी है कई हत्याएं।

MP news, रेत माफियाओं के आतंक से थर्राता है शहडोल और सीधी क्षेत्र अब तक हो चुकी है कई हत्याएं।

सोन नदी के लगभग 100 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र अर्थात बाणसागर बांध के नीचे से लेकर जब तक सोन नदी यूपी में नहीं पहुंचती पूरे क्षेत्र को सोन घड़ियाल अभ्यारण बनाकर संरक्षित किया गया और एक विशेष अमला बनाते हुए मुख्य जिम्मेदारी उसे सौंपते हुए सहयोग में वन और पुलिस तथा राजस्व एवं खनिज विभाग को आपस में समन्वय कर सोन नदी समेत इसकी सहायक बड़ी व छोटी नदियों को भी संरक्षित कर इसे सोन घड़ियाल अभ्यारण्य क्षेत्र का दर्जा दिया गया उसके पीछे दूर द्रष्टा पूर्व मुख्यमंत्री माननीय कुमार अर्जुन सिंह की मनसा थी की अनावश्यक रूप से इन नदी व नालों से चोरी छुपे किए जा रहे वैधानिक बालू निकासी पर तो रोक लगेगी ही साथ ही विलुप्त होते जा रहे घड़ियालों को भी संरक्षण मिलेगा और इस क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण स्थान को पर्यटन का दर्जा दिया जाकर वहां भरपूर विकास यह जाने की संभावनाएं होगी। किंतु विगत के वर्षों से क्षेत्र में स्थित महत्वपूर्ण बालू नमक खनिज की चोरी का सिलसिला ऐसा प्रारंभ हुआ के सर्वप्रथम बुढ़वा क्षेत्र में एस की टुकड़ी पर हमला उसके बाद बिगड़ कई महीने पूर्व पटवारी को जान से मारा गया और अब बीते दिनों एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी गई।

घर घर जुड़े हैं रेत माफियाओं के तार।

शहडोल और सीधी क्षेत्र में सक्रिय बालू माफिया के तार घर-घर हुआ गांव-गांव सक्रिय हैं और उनके पास आधुनिक संचार के भरपूर साधन भी उपलब्ध हैं वे सब आपस में संगठित होकर बालू चोरी के अभियान में सहयोग व सहभागिता करते हैं, यहां यह गौरतलब है कि बालू चोरी में इतना पैसा है कि हर विभाग में कई विभीषण छिपे हुए हैं चाहे वह वन विभाग हो खनिज विभाग हो अथवा पुलिस या राजस्व मोहकमा हो इन विभागों के शीर्ष अधिकारियों तक एक अच्छी खासी रकम की चढ़ोत्तरी भी समय-समय पर होती है तभी तो यह व्यवसाय दिनों दिन पवन चढ़ता जा रहा है।

जिम्मेदारों तक पहुंचती है माहवारी किस्त।

अब यदि बात करें हम सोन नदी उसकी सहायक नदियों या नदी नालों की तो उनके किनारे बसने वाले गांव में हर घर में तीन या चार ट्रैक्टर हैं, हर दो चार घरों के बीच एक या दो जेसीबी मशीन है जिनके माध्यम से नदी नालों से बालू की अवैध निकासी कर समीपस्थ गांव के हर चार छे घरों के बीच बालू के बड़े-बड़े ठीहे मौजूद हैं जहां से सारी रात बालू की आवाज लोडिंग होती है अब सवाल यह उठता है नदी किनारे के इन तथा कथित गांव से रीवा सतना सीधी मऊगंज की ओर जाने वाला वाहन आखिर जाता तो सड़क मार्ग से ही है जिसकी जानकारी हर थाना क्षेत्र को होती है लेकिन उनकी धर पकड़ नहीं होती यदा कदा होने वाली धर पकड़ तब होती है जब संबंधित क्षेत्र के पुलिस फॉरेस्ट राजस्व अथवा खनिज विभाग को उनके माहवारी किश्त समय पर नहीं पहुंचती।

नोट की गड्डियों से बंद कर दिया जाता है मुंह।

क्षेत्र के ग्राम वासियों गणमान्य नागरिकों को आश्चर्य अब नहीं होता क्योंकि सरेआम दिनदहाड़े अवैध वालू से क्षमता से कई गुना ज्यादा ओवरलोड डंपर हमेशा ही निकालते रहते हैं हां उन्हें आश्चर्य तब होता है जब कोई निरपराध छोटा कर्मचारी या अधिकारी इन ट्रैक्टर जेसीबी मशीन अथवा डंम्फरों से कुचल दिया जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि यदि सभी विभाग संयुक्त रूप से चाह लें किया हुआ है दैनिक बालू का दोहन , परिवहन नहीं करने दिया जाएगा उसी दिन बालू की चोरी बंद हो जाएगी किंतु यह भी डर सता रहा है की नीचे से ऊपर तक पहुंचने वाली नोटों की गड्डियां बंद हो जाएगी। अब जबकि पुलिस का छोटा अधिकारी मारा गया है दो-चार दिन हल्ला होगा उसके बाद इन दिनों सड़कों पर न दिखने वाले डंम्पर फिर निर्वाध गति से आवा जाही करेंगे।

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